रक्षाबंधन के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं आइये पढ़ते
हैं आदरणीय वेद शर्मा जी का श्रावणी पूर्णिमा को समर्पित एक सारगर्भित गीत
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धूम मची बाज़ार हाट में
रक्षाबंधन की
रक्षाबंधन की
ढूंढ रहे हम कच्चे धागे
पक्के बंधन के
सोने चांदी की राखी में
रिश्ते चन्दन के
हांफ रही है एक रिवायत
चिपके बंधन की
पक्के बंधन के
सोने चांदी की राखी में
रिश्ते चन्दन के
हांफ रही है एक रिवायत
चिपके बंधन की
"बद्धो येन" तर्ज है केवल
सुर लय हाथ मिला
समय-गान के साथ खड़े हैं
छंदों को सहला
मर्म चुका है, शेष बची
भाषा अभिन्दन की
सुर लय हाथ मिला
समय-गान के साथ खड़े हैं
छंदों को सहला
मर्म चुका है, शेष बची
भाषा अभिन्दन की
कच्चे धागे हमें देखते
हम उनको जैसे
पूछ रहे कैसे होते थे, हम
पर, अब कैसे
नक्कारों में कौन सुने पर
सिसकी क्रंदन की
हम उनको जैसे
पूछ रहे कैसे होते थे, हम
पर, अब कैसे
नक्कारों में कौन सुने पर
सिसकी क्रंदन की
बहन बराबर है भाई में
हो विश्वास बड़ा
वह भी उसके साथ रहे
हो वह भी साथ खड़ा
दोनों मिलकर रहें सींचते
क्यारी बचपन की
हो विश्वास बड़ा
वह भी उसके साथ रहे
हो वह भी साथ खड़ा
दोनों मिलकर रहें सींचते
क्यारी बचपन की
काश कि ये गंधें लौटें
फिर रक्षाबन्धन की............ Ved Sharma
फिर रक्षाबन्धन की............ Ved Sharma
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