पाठको से सीधा सम्वाद करता गीत........ रचनाकार
के अनुसार गीत किसी विद्यालय के प्राध्यापक के उदगार हैं जिसे उन्होंने गीत में
ढाला है............. बिना किसी तंज बिना किसी कटाक्ष सीधी-सादी भाषा में कही गयी
बात कितनी प्रभावशाली हो सकती है मनोज शुक्ला के गीत को पढ़ कर स्वयं महसूस करिए
हम बदलेंगे तो युग बदलेगा
सच मानो,
हम सुधरेंगे तो युग सुधरेगा
सच मानो।
ये तो है सबको ज्ञात कि
हम युग नायक थे,
मानवता के सेवक थे
सच के गायक थे।
हम भी पूजे जाते थे
देवो से जग में,
थे फूल बिछाये जाते
हम सब के मग में।
झंडा फिर से अपना लहरेगा
सच मानो,
हम भी भूले है डगर
जमाना हँसता है,
हँसता है मूरख और
सयाना हँसता है।
जो ओछे हैं वो हमको
ओछा कहते हैं,
जो पात्र हँसी के
हँसी उड़ाते रहते हैं।
पानी नदिया का फिर ठहरेगा
सच मानो,
आओ हम मिलकर
एक नयी शुरूआत करें,
जो अड़चन बाधाये है
उन पर बात करें।
विश्वास करो तुम सत्य
नया युग आयेगा,
मुरझाया कमल पुनःहँसकर
खिल जायेगा।
झरना सुख का फिर से हहरेगा
सच मानो,
मनोज शुक्ल
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