प्रस्तुतकर्ता/ सुनील गुप्ता
आदरणीय सीमा दी,आपके आदेश के अनुपालन हेतु कई गीत ज़हन में उभरे किन्तु कोई भी गीत न
जाने क्यों मन को जँच नही सका और उन सभी गीतों को पछाड़ कर २५ वर्ष पूर्व डॉ कुँवर
बेचैन का सुना हुआ यह गीत अपना परचम पूरी शिद्दत से लहराने लगता था l न जाने क्यों ये
गीत मेरे मन के बहुत नज़दीक महसूस होता है l आज भी इस गीत को सुनता या पढ़ता हूँ तो पलकें नम हो जाती है l आप भी इसे महसूस
करके देखें और बताएं कि ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही होता है या आप सबके साथ भी –
बदरी बाबुल के अंगना जइयो
जइयो बरसियो कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया की अँखियाँ
बदरी बाबुल के अंगना जइयो . . .
मरुथल की हिरणी है गई सारी उमरिया
कांटे बिंधी है मोरे मन कि मछरिया
बिजुरी मैया के अंगना जइयो
जइयो तड़पियो कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया कि सखियाँ
बदरी बाबुल के अंगना जइयो . . .
अब के बरस राखी भेज न पाई
सूनी रहेगी मोरे वीर की कलाई
पुरवा भईया के अंगना जइयो
छू-छू कलाई कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बहना की राखियाँ
Heart touching song.i like the song very much .
ReplyDeleteissw badh kr mujhe kou geet nahi laga
ReplyDeleteI am so lucky to listen and shoot this song sung by the famous Sucharita Gupta live at Akashwani Auditorium on the occasion of Vividh Bharati's 63rd Anniversary which is available in my Youtube Channel MUMBAY DARPAN .
ReplyDeletevery nice song. it touch to the heart.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteगजब की पंक्तियां हैं, अब मैं महान हिन्दी के कवि स्व० कुंवर बेचैन सर की आयल पेन्टिंग भी बना रहा हूं| एकाद दो दिन में बन कर तैयार भी हो जाएगी.....
ReplyDeleteYe kon se raag mein hai koi bataye pplzz
ReplyDeleteबेहद मार्मिक
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण कविता है ! कविवर के मुखारविंद से ३०-४० वर्ष पूर्व सुनने का सौभाग्य मिला था ! एक परदेशी बिटिया की तड़प उनके स्वर में अद्भुत थी !❤️❤️🧡❤️❤️
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