Thursday, December 8, 2016

इन्हें प्रणाम करो /मुकुट बिहारी सरोज


प्रस्तुतकर्ता/ जगदीश पंकज
आदरणीय मुकुट बिहारी सरोज जी का एक गीत जो उनके द्वारा अपनी ही विचित्र शैली में प्रस्तुत किया जाता था ,अपने समय में बहुत लोकप्रिय रहा। मुझे बहुत पसंद है,
अतः मित्रों के साथ साझा कर रहा हूँ।

इन्हें प्रणाम करो ,ये बड़े महान हैं !
प्रभुता के घर जन्मे , समारोह ने पाले हैं
इनके ग्रह मुंह में ,चांदी की चम्मच वाले हैं
उदघाटन में दिन काटें रातें अखबारों में
ये ,शुमार होकर ही मानेंगे, अवतारों में
ये तो बड़ी कृपा है, जो ये दीखते भर इंसान हैं !
इन्हें प्रणाम करो ,ये बड़े महान हैं !

दंतकथाओं के उद्गम का पानी रखते हैं
पूंजीवादी तन में ,मन भूदानी रखते हैं ,
होगा एक,तुम्हारे इनके लाख-लाख चेहरे
इनको क्या नामुमकिन है, ये जादूगर ठहरे
इनके जितने भी मकान थे,वे सब आज दूकान हैं!
इन्हें प्रणाम करो ,ये बड़े महान हैं !

ये जो कहें प्रमाण,करें जो कुछ प्रतिमान बने ,
इन ने जब-जब चाहा तब-तब नए विधान बने
कोई क्या सीमा नापे इनके अधिकारों की
ये खुद जन्म पत्रियां लिखते हैं सरकारों की
तुम होगे सामान्य, यहां तो पैदायशी प्रधान हैं!

इन्हें प्रणाम करो ,ये बड़े महान हैं !

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