Thursday, December 1, 2016

साठ लाख का गेट/ कैलाश गौतम

आदरणीय कैलाश गौतम जी का गीत -------
गीत की धार देखिये ..... कैलाश गौतम जी की अपनी विशिष्ट कहन के लिए जाने  जाते हैं ....भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप ,आर्थिक विषमता, शोषण उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच गहरी खाई ....आदि समस्याओं पर खुल कर चिंता व्यक्त की हैं  उन्होंने अपने गीतों में ................

सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट
झुग्गीवाला देख रहा है साठ लाख का गेट ।

बहुत बुरा है आज देश में
लोकतंत्र का हाल
कुत्ते खींच रहे हैं देखो
कामधेनु की खाल
हत्या, रेप, डकैती, दंगा
हर धंधे का रेट ।

बिकती है नौकरी यहाँ पर
बिकता है सम्मान
आँख मूँद कर उसी घाट पर
भाग रहे यजमान
जाली वीज़ा पासपोर्ट है
जाली सर्टिफ़िकेट ।

लोग देश में खेल रहे हैं
कैसे कैसे खेल
एक हाथ में खुला लाइटर
एक हाथ में तेल
चाहें तो मिनटों में कर दें
सब कुछ मटियामेट ।

अंधी है सरकार-व्यवस्था
अंधा है कानून
कुर्सीवाला देश बेचता
रिक्शेवाला ख़ून
जिसकी उंगली है रिमोट पर
वो है सबसे ग्रेट ।


कैलाश गौतम

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