Thursday, December 1, 2016

झंडा ऊंचा रहे हमारा/श्यामलाल पार्षद

पद्मश्री श्यामलाल गुप्ता 'पार्षद'...............................
श्यामलाल गुप्त पार्षदका जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के नरवल ग्राम में ९ सितम्बर १८९६ को मध्यवर्गीय वैश्य परिवार में हुआ था। श्यामलाल गुप्त पार्षदभारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी, पत्रकार, समाजसेवी एवं अध्यापक थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान उत्प्रेरक झण्डा गीत (विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा) की रचना के लिये वे इतिहास में सदैव याद किये जायेंगे। १९५२ में लालकिले से उन्होंने अपना प्रसिद्ध झण्डा गीतगाया। १९७२ में लालकिले में उनका अभिनन्दन किया गया। १९७३ में उन्हें पद्म श्रीसे अलंकृत किया गया।कहते हैं जब उन्हें उनके गीत के लिए पद्मश्री अवार्ड देने के लिए दिल्ली प्रधानमंत्री कार्यालय से बुलावा आया था। तब उनके पास न तो धोती कुर्ता ढंग का था और न ही उनके पास जूता था। ऐसे में उनके बेटे , राम किशोर ने अपने दोस्त से कुछ रुपए उधार लेकर पिता के लिए धोती कुर्ता और जूते का इंतजाम किया था। इसे पहनकर वो दिल्ली गए थे। मुफलिसी में जीवन यापन करने वाले श्यामलाल गुप्त ने किसी से कभी कुछ नहीं मांगा।आज के इस साम्प्रदायिक होते परिदृश्य में जाने क्यों इस गीत की याद आयी


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा...।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा...।

इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा...।

आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा...।

इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...।


श्यामलाल पार्षद

रचनाकाल : 1924

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