Friday, December 9, 2016

उद्यान बदल कर क्या होगा/ बलबीर सिंह रंग



परिवर्तन वही जो सार्थकता की तरफ प्रयाण करने के मार्ग दिखाएँ ......... निरुद्देश्य परिवर्तन का होना या न होना कोई परिवर्तन नहीं लाता ...... एक छोटा सा गीत बलबीर सिंह रंग जी की स्मृतियों को प्रणाम करते हुए

पूजा के गीत नहीं बदले,
वरदान बदलकर क्या होगा ?
तरकश में तीर न हों तीखे,
संधान बदलकर
क्या होगा ?

समता के शांत तपोवन में
अधिकारों का कोलाहल क्यों ?
लड़ने के निर्णय ज्यों के त्यों,
मैदान बदलकर
क्या होगा ?

मानवता के मठ में जाकर
जो पशुता की पूजा करते,
प्रभुता के भूखे भक्तों का
ईमान बदलकर
क्या होगा ?

पथ की दुविधाओं से डरकर
जो सुविधाओं की ओर चले,
ऐसे पथभ्रष्ट पंथियों का
अभियान बदलकर
क्या होगा ?

यदि फूलों में मधु-गंध न हो
काँटों का चुभना बंद न हो,
चिड़ियों की चहक स्वच्छंद न हो
उद्यान बदलकर

क्या होगा ?..

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