प्रस्तुतकर्ता/
कालीचरण सिंह राजपूत
सभी सुधिजनों के समक्ष प्रसिद्ध गीतकार "शिव
मंगल सिंह सुमन " जी का एक गीत प्रस्तुत है।इस गीत में गीतकार ने तमाम विकट
परिस्थितियों के बावजूद मानव को कभी हार न मानने की प्रेरणा दी है ,
तूफानों की ओर घुमा दो
नाविक निज पतवार
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज ह्रदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार
लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार
यह असीम, निज सीमा जाने
सागर भी तो यह पहचाने
मिट्टी के पुतले मानव ने
कभी ना मानी हार
सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार ।।
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