Thursday, December 8, 2016

जन्म क्या है/ अंकित काव्यांश



अंकित काव्यांश एक सशक्त गीतकार जिनका हर गीत जीवन दर्शन की सुन्दर बानगी पेश करता है......दिल से ढेरों बधाई अंकित को..... आप लिखिए खूब लिखिए ..हिंदी साहित्य को समृद्ध करते रहिये अपने गीतों से.............

जन्म क्या है!
बस, नदी का बर्फ में रूपांतरण,
और जीवन
आयु की तपती शिलाओं का वरण।

कुछ उजाले
जिंदगी में इंद्रधनुषी रंग लाते,
कुछ अंधेरे
सिसकती रोती निगाहों में समाते,
संतुलन के लिए
ही मन की तुला पर बोझ सहते,
यह समय की
जय-पराजय है जिसे कुछ लोग कहते
भाग्य या दुर्भाग्य का प्रारम्भ या अंतिम चरण।

फिर वही
जंगल मिला है किन्तु पथ फिर ढूँढना है,
इस जनम भी
पार जाने की तड़प में भटकना है,
अनुभवी पँछी
बताता यह कि जंगल तैरता है,
कामना के
द्वीप से जीवन पिघलकर निकलता है

कुल मिलाकर बर्फ का फिर से नदी होना मरण।

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