कुछ व्यक्तित्व और कुछ गीत चुपचाप दिल में उतरते
चले जाते है मधु प्रधान जी एक ऐसा ही व्यक्तित्व है जिसका सम्मोहन आपको बाँध ही
लेगा । उनके गीत भी उनकी तरह ही मधुर शांत और प्रीतिकर आप सब भी पढ़ें।
पारिजात सी याद तुम्हारी ,
अन्तरमन में रहे महकती ।
तो मैं जीवन का सारा विष
बूँद-बूँद,हँस-हँस कर पीलूँ ।
मिलन आस उन्मत्त लहर सी ,
मन सागर को मथ जाती है ।
किन्तु अपरमित प्यास मौन रह
करो प्रतीक्षा कह जाती है।
पीड़ा का अभिसार प्रणय से
एक चिरन्तन सत्य नियति का ,
सहना है अनुताप विरह का
पाटल से अधरों को सी लूँ ।
धूमायित जीवन मंदिर में
निर्निमेष मन दीप जलेगा
मूक अधर पर श्वांस -श्वांस से
सामवेद का स्वर उभरेगा
युगों -युगों तक समिधा बन कर
जलना भी स्वीकार मुझे है
कनी -कनी बन क्षार बनूँ पर
कुन्दन बन कर कुछ पल जीलूं ........
मधु प्रधान
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