Wednesday, November 30, 2016

हम तुम कोशिश ही करते रह गए जन्म भर/नईम

बिना किसी भूमिका के आज का गीत आप सबके हवाले है ......... अप्रतिम गीतकार नईम जी का गीत ...................नईम जी अपनी मौलिक भाषा शैली और जनवादी तेवर के लिए जाने जाते हैं.................... आज वो हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी रचनाएं सदैव मुखर हैं................ और रहेंगी सदा ही


हम तुम

हम तुम
कोशिश ही करते रह गये जनम भर,
लेकिन वो
जाने, क्यों, कैसे -
रातों-रात महान हो गये

नये संस्करण में किताब के -
शब्द असम्भव
शेष नहीं अब,
कदम-कदम सीढ़ी-दर-सीढ़ी
चलने वाला
देश नहीं अब
बिना बात के
मरते ही रह गये जनम भर
अनचाहे इनको आसंदी,
उनके लिए मचान हो गये

परम्पराओं के क्या मानी,
देश-काल
हो गये असंगत
श्राद्धपक्ष ही नहीं साल भर
कौवे
जीम रहे हैं पंगत
हम तुम
हुक्के भरते ही रह गये जनम भर
कोढ़ खाज से गलित आचरण -
उनके आज प्रमाण हो गये

नईम

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