'' दुनिया नष्ट नहीं होगी'' का हर गीत अपने आप में एक नारा है............. जनचेतना से जुड़े
नचिकेता जी के गीत विश्वास के किसी खोखले धरातल पर नहीं टिके हैं वरन हर शोषण और
गिरते
मानवीय मूल्यों से पूरी प्रतिबद्धता के साथ
संघर्ष की घोषणा करते हैं................
कहाँ कहाँ हम क्या क्या भूले हैं...यह याद करना
मात्र ही हमें पुनः जोड़ देता है उन सबसे जो ज़िन्दगी में होना
चाहिए..................प्रस्तुत है उन्हें सबको याद दिलाता एक गीत
भूल गए
हम आपस में बतियाना भूल गए
आज हवा में
मिलती पहले जैसी गंध नहीं
उत्तम कविताओं में भी
होते लय, छंद नहीं
सच की
आँखों से हम आँख मिलाना भूल गए
मिला नदी के
जल में है खारापन सागर का
पत्ते जैसा
काँप रहा चेहरा फिर से घर का
हम
रूठे बच्चे का सर सहलाना भूल गए
चिंता है बस
हमे कहाँ क्या खोना पाना है
फूलों की
बस्ती में कब कब आना जाना है
पर
अपनेपन में हम गाँठ लगाना भूल गए
नचिकेता/''दुनिया नष्ट नहीं होगी''
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